फोटो: शांति और वैश्विक मुद्दों के लिए SGI (एसजीआई) महानिदेशक हिरोत्सुगु तेरासाकी (बाएं) प्रदर्शनी का उद्घाटन कर रहे हैं। श्रेय: कत्सुहिरो असागिरी | INPS-IDN (आईएनपीएस-आईडीएन) मल्टीमीडिया निदेशक।

कलिंगा सेनेविरत्ने द्वारा

नूर-सुल्तान, कजाकिस्तान (IDN) - एक प्रदर्शनी जो 16 सितंबर को यहां के एक अपमार्केट शॉपिंग सेंटर केरुएन मॉल में खोली गई और महीने के अंत तक जारी रहती है, यह परमाणु हथियारों के खतरों के संदेश के साथ युवाओं तक पहुंचने के लिए एकनई विधि का उपयोग करती है।

प्रदर्शनी में हिरोशिमा विस्फोट से लेकर आज तक के 70 वर्षों के परमाणु इतिहास को तस्वीरों, चित्रों और रेखांकन का उपयोग करके दर्शाया गया है जो समुदायों पर परमाणु हथियारों के विनाशकारी प्रभावों को दर्शाते हैं।

 सोका गक्कई इंटरनेशनल (SGI),एक जापानी बौद्ध गैर-सरकारी संगठन (NGO) जो शांति, संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा देता है, इसने नोबेल पुरस्कार विजेता इंटरनेशनल कैंपेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स (ICAN)और स्थानीय NGO (एनजीओ) कजाख सेंटर फॉर इंटरनेशनल सेक्यूरिटी एंड पॉलिसी के साथ प्रदर्शनी का आयोजन किया।

प्रदर्शनी को पहली बार 2012 में जापान के हिरोशिमा में दिखाया गया था और तब से दुनिया भर के 21 देशों के 90 से अधिक शहरों में इसको दिखाया जा चुका है।

SGI (एसजीआई) के शांति और वैश्विक मुद्दों के महानिदेशक हिरोत्सुगु तेरासाकी ने आईडीएन (IDN) को बताया, "कजाखस्तान सोवियत संघ के तहत सेमिपालाटिंस्क टेस्ट साइट सहित परमाणु परीक्षण स्थलों का जाना-माना नाम था और यह कई लोगों का देश है जो परमाणु हथियार परीक्षणों के परिणामों से बहुत पीड़ित हुआ।"

"आज परमाणु हथियारों के आसपास की स्थिति को देखते हुए, कजाकिस्तान में कई लोग परमाणु निरस्त्रीकरण की समान तीव्र इच्छा साझा करते हैं, जैसे कि कई जापानी लोग जिन्होंने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी का अनुभव किया था।"

उद्घाटन समारोह के एक दोस्ताना भाषण में, विदेश मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग के उप निदेशक, अरमान बाईसुआनोव ने कहा कि 1948 से 1989 के बीच सोवियत काल के दौरान कजाकिस्तान को अपनी धरती पर लगभग 450 परमाणु परीक्षणों के प्रभाव का सामना करना पड़ा था। ये परीक्षण भूमिगत और हवा में किए गए थे जिससे लगभग 1.5 मिलियन लोग प्रभावित हुए।

उन्होंने कहा, "परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया हमारी विदेश नीति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है," 2019 में कजाकिस्तान ने परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि की पुष्टि की थी। "कजाकिस्तान परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने हेतु आंदोलन की तैयारी के उद्देश्य से एक वैश्विक गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है।"

'एवरीथिंग यू ट्रेजर - फॉर ए वर्ल्ड फ्री फ्रॉम न्यूक्लियर वेपन्स' विषय के तहत रंगीन आकर्षक ग्राफिक्स के साथ 20 पैनलों पर प्रस्तुत किया गया है, इस प्रदर्शनी को विशेष रूप से युवाओं को इस मुद्दे पर उनकी उदासीनता से बाहर निकालने के संबंध में शिक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है। प्रदर्शनी पैनल इस सवाल का जवाब देते हैं कि क्या परमाणु हथियार वास्तव में हमारे प्रिय की रक्षा करते हैं, परमाणु हथियारों के कारण क्या समस्याएं हैं - मानवीय, पर्यावरण, चिकित्सा और आर्थिक - साथ ही साथ हम अपना भविष्य कैसा चाहते हैं।

"युवा कजाकिस्तानियों ने इन परमाणु परीक्षण स्थलों का अनुभव नहीं किया है। उद्घाटन समारोह में भाग लेने वाले एक युवा कजाखस्तानी मदियार अय्यप ने IDN को बताया "हम इस प्रकार की प्रदर्शनियों से सीख रहे हैं कि परमाणु परीक्षण और परमाणु हथियार सहनीय नहीं हैं"। "हम सभी को संयुक्त मानव आबादी के रूप में एक साथ काम करना चाहिए ताकि हम एक दूसरे को परमाणु के बिना किसी भी समस्या का समाधान कर सकें।"

उद्घाटन में एक विशेष अतिथि 63 वर्षीय दूसरी पीढ़ी के परमाणु परीक्षणों के पीड़ित, बोलतबेक बाल्टबेक थे जो अब एक अंतरराष्ट्रीय परमाणु विरोधी आंदोलन कार्यकर्ता हैं। उन्होंने उन पर और उनके परिवार पर परमाणु परीक्षणों के दुखद परिणामों के बारे में बताया।

श्री बाल्टबेक एक बच्चे थे जब सोवियत संघ ने पूर्वी कजाकिस्तान में उनके गृह गांव सरझल के पास परमाणु बम का परीक्षण किया, जिसे सेमी पॉलीगॉन के नाम से जाना जाने लगा। उन्होंने कहा कि गर्मियों के दौरान उनके पिता और मां एक कमरे में रहते थे और बाकी कमरों में सोवियत सैन्य कर्मियों का कब्जा था जो परमाणु परीक्षण करने आए थे।

“जब हम बच्चे थे और जब हेलिकॉप्टर आते थे तो खुशी-खुशी दौड़ते थे और कहते थे कि अब टेस्ट होगा। श्री बाल्टबेक ने कहा, "उस समय, हम नहीं जानते थे कि परीक्षण खतरनाक थे”।

“बाद में जब हम बड़े हुए, तो हमारे छोटे दिलों में अज्ञात बीमारी से हमारे दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों की मौत हमारे दिल में डर पैदा कर देती थी। उन्हों ने यह भी कहा, "अगर हम अपने बड़ों से पूछते थे तो वे बस 'लैंडफिल की बीमारी' कहते थे और हम उनकी उदास आंखों को देखकर समझ जाते थे कि हमें इस विषय पर चर्चा नहीं करनी चाहिए"।

श्री बाल्टबेक ने बताया कि कैसे सोवियत सरकार उन्हें समूहों में सेमिपलतिन्स्क शहर में ले गई और 10 दिनों तक परीक्षण किए। उन्होंने परीक्षण के परिणामों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन उन्हें लगता है, उनका समुदाय एक प्रयोग का वस्तु बन गया, हालांकि सरकार ने कभी भी परीक्षण से प्रभावित लोगों को कोई विशेष सहायता नहीं दी।

श्री बाल्टबेक कहते हैं, "वर्तमान में परीक्षणों के कारण होने वाली बीमारियां हमारे बच्चों और पोते-पोतियों में देखी जाने लगी हैं, जिन्होंने लैंडफिल विस्फोट नहीं देखा," और वे कहते हैं कि उनकी पोती रक्त रोग से बीमार है और अब विकलांगता रजिस्टर पर है। "मैं इस मंच के प्रतिभागियों से, जिसमें जापान के लोग भी शामिल हैं, इन सब से कहता हूं कि मेरी पोती को इस बीमारी से उबरने में मदद करें।"

विदेश नीति विश्लेषक इस्कंदर अकिलबायेव ने तर्क दिया कि, हालांकि सोवियत संघ के अंत में  पोलीगॉन बंद कर दिया गया था फिर भी समस्याएं समाप्त नहीं हुई हैं। परमाणु परीक्षणों का प्रभाव "एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहूंचाया जा सकता है"। उन्होंने कहा: “वे (दूषित) पेयजल, (स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी) जैसे सामाजिक-आर्थिक परिणामों से पीड़ित हैं या उन्हें इलाज के लिए शहरों की यात्रा करनी पड़ती है। इसलिए, हमें सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर भी जोर देना चाहिए," उन्होंने IDN को बताया।

श्री अकीलबायेव को लगता है कि इस प्रदर्शनी को पूरे देश में ले जाने की आवश्यकता है क्योंकि "हम एक खतरनाक समय में हैं जहां शीत युद्ध की सोच वापस आ रही है और परमाणु हथियारों का उपयोग करने का मौका भी एजेंडे में है। पुरानी गलतियों से सीखना बहुत जरूरी है।"

श्री तेरासाकी ने कहा,"प्रदर्शनी दुनिया भर के 20 से अधिक देशों में हुई है, और (पैनल) को कई भाषाओं में अनुवाद करके, हम इसे अन्य क्षेत्रों में जारी रखना चाहते हैं"। "यह प्रदर्शनी परमाणु हथियारों के उन्मूलन की मांग करने वाली सामान्य प्रदर्शनियों से अलग है। मुख्य बिंदु यह है कि प्रदर्शनी परमाणु हथियारों पर विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।"

जापानी भाषा के शिक्षक शिगेनोबु मसुजिमा, जो कजाकिस्तान में 15 वर्ष रह चुके हैं, उन्होने तर्क दिया कि चूंकि जापान और कजाकिस्तान दोनों ने परमाणु हथियारों की भयावहता का अनुभव किया है, "जब तक कि हम परमाणु-बमबारी वाले राष्ट्रों के रूप में, दुनिया को परमाणु हथियारों की भयावहता से अवगत नहीं कराते हैं, लोग नहीं समझेंगे। इसलिए हमें इस संबंध में पहल करनी चाहिए।"

श्री तेरासाकीने कहा, "कई लोग परमाणु हथियारों को सही से नहीं समझ पाए हैं क्योंकि वे हमारे करीब मौजूद नहीं हैं"। "इस कारण से, परमाणु हथियारों का मुद्दा हमारे दैनिक जीवन से छिपा हुआ है। हम अपने दर्शकों को यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि परमाणु हथियार हमारे लिए अप्रासंगिक नहीं हैं बल्कि वे हमारे जीवन और जीने के तरीकों को गहराई से प्रभावित करते हैं।" [IDN-InDepthNews – 25 सितंबर 2022]

फोटो: शांति और वैश्विक मुद्दों के लिए SGI (एसजीआई) महानिदेशक हिरोत्सुगु तेरासाकी (बाएं) प्रदर्शनी का उद्घाटन कर रहे हैं। श्रेय: कत्सुहिरो असागिरी | INPS-IDN (आईएनपीएस-आईडीएन) मल्टीमीडिया निदेशक।